Tuesday 30 September 2014

CBSE CLASS 10 HINDI GRAMMAR VATSALYA RAS (वात्सल्य रस)

 10. वात्ल्


जब अपने या पराए बालक को देखकर या सुनकर उसके प्रति मन में एक सहज आकर्षण या बाल-रति का भाव उमड़ता हो वहाँ वात्सल्य रस होता है।

स्थायी - संतान प्रेम या बाल - रति ।


संचारी - हर्ष, मोद, चपलता, आवेग, औत्सुक्य, मोह ।

आलंबन - बालक के चिताकर्षक हाव - भाव, बोली एवं रूप - सौंदर्य ।

आश्रय - माता, पिता, दर्शक, श्रोता, पाठक ।

उद्दीपन - बाल सुलभ क्रीड़ा, बातें, चाल, चेष्टाएँ, तुतलाना, जिद ।

अनुभाव - गोद में सोना, प्यार जताना, गले लगाना, चूमना, बाहों में भरना, उसी के समान बोलना, साथ में खेलना आदि ।

जैसे -




चलत देखि जसुमति सुख पावै।

ठुमकि-ठुमकि पग धरनि रेंगत, जननी देखि दिखावै।

देहरि लौं चलि जात, बहुरि फिरि-फिरि इतहिं कौ आवै।

गिरि-गिरि परत,बनत नहिं लाँघत सुर-मुनि सोच करावै।


विशेष -

* इसमें श्रीकृष्ण आलंबन है।

* यशोदा मैया का हृदय आश्रय है ।

* घुटनों के बल चलना , अपनी परछांई पकडने की चेष्टा करना ,किलकारी मार कर हँसना आदि उद्दीपन है।

* खुश होना , दूसरों को देखाना, बार-बार नन्द बाबा को बुला लाना अनुभाव है।

* ठुमकना , किलकारी , चपलता आदि संचारी भाव
है।


 अन् में.. भक्ति रस  की बात...क्रमश: अगले पोस्ट में..
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

5 comments:

  1. All topics are according to our wants.will you make pdf file of these

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    1. u cant;t copy nd paste it...wht need of pdf..??

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  2. give more examples

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  3. Wow such a bullshit explanation.. without any example

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