Sunday 31 August 2014

CBSE CLASS 10 HINDI KAVITA - FASAL - NAGARJUN (फ़सल : नागार्जुन)

 फ़सल
प्रश्न 1- कवि के अनुसार फ़सल क्या है?
उत्तर - कवि नागार्जुन के अनुसार फ़सल किसी एक व्यक्ति अथवा प्रकृति के किसी एक तत्त्व की उपज नहीं, बल्कि अनगिनत किसानों और मज़दूरों के परिश्रम तथा प्रकृति के पंच महाभूतों ( क्षिति , जल , पावक , गगन और समीर ) के समवेत योगदान एवम् सहयोग का फल है।

प्रश्न 2- कविता में फ़सल उपजाने के लिए आवश्यक तत्त्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर - फ़सल को उपजाने के लिए अनेक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। जिनमें धरती ,पानी , सूर्य, हवा और मनुष्य का परिश्रम आवश्यक है। इनके परस्पर सहयोग से ही फ़सल उपज सकती है।इनमें से किसी भी तत्त्व का अभाव फ़सल को नहीं उपजने देगा।

प्रश्न 3- फ़सल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर - कवि ने फ़सल को मानव - श्रम से जोड़ा है, क्योंकि मनुष्यों के हाथों किया गया श्रम ही फ़सल को उपजाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मनुष्य यदि परिश्रम न करे तो फ़सल उग ही नहीं सकती। उनके हाथों के स्पर्श की बहुत महिमा है।ऐसा कहकर कवि मनुष्यों विशेषकर किसानों और मज़दूरों के प्रति अपना लगाव और आभार व्यक्त करता है।

प्रश्न 4- भाव स्पष्ट कीजिए :--
  रूपान्तर है सूरज की किरणों का
  सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का !

उत्तर - प्रस्तुत पद्यांश का भाव है कि फ़सल उगाने और उसके फलने-फूलने और लहलहाने में अनेक तत्त्वों का योगदान है। सूर्य की किरणें अपनी ऊर्जा को फ़सलों में समाहित करती हैं , जबकि वायु तत्त्व न हो तो पौधे साँस ही न ले पाएँगे।तात्पर्य यह कि हवा भी फ़सल को जीवंतता प्रदान करती है।इन दोनों तत्त्वों के अभाव में फ़सल की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।फ़सल को उपजाने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।


प्रश्न 5- कवि ने फ़सल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है--
 
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे ?
उत्तर - अलग-अलग खेतों मे प्राय: भिन्न-भिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। सभी मिट्टियाँ एक ही जैसी नहीं होतीं, न ही उनमें एक जैसी फ़सल ही उगाई जा सकती है।उनमें अलग - अलग विशेषताएँ पाई जाती हैं। वे अपनी विशेषताओं के आधार पर ही अलग - अलग फ़सलों को उगाती है। ये भिन्नता उसके गुण और धर्म के कारण ही होती है।

(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
उत्तर - वर्तमान युग में खेती के लिए वैज्ञानिक-पद्धति और संसाधनों के प्रयोग से मिट्टी के स्वाभाविक गुण नष्ट हो रहे हैं। अधिकाधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग, गंदगी ,कचरा और प्लास्टिक जैसे पदार्थों के प्रदूषण आदि के कारण मिट्टी के गुण-धर्म में गिरावट आती जा रही है।निश्चित रूप से इसके लिए वर्तमान जीवन शैली दोषी है।

(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है।
उत्तर - मेरे विचार से मिट्टी ने यदि अपना गुण-धर्म छोड़ दिया तो धरती से हरियाली का, पेड़-पौधे और फ़सल आदि का नाम-ओ-निशाँ मिट जाएगा। इनके अभाव में तो धरती पर जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती । हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि मिट्टी का गुण-धर्म बना रहे।

(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर - मिट्टी के गुण - धर्म को पोषित करने में हम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हम मिट्टी को प्रदूषण से बचाकर, वृक्षारोपण कर , मिट्टी के कटाव को रोकने की व्यवस्था कर ,फ़सल-चक्र चलाकर, कम से कम मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करके हम मिट्टी के गुण-धर्म का का पोषण कर सकते हैं।

॥ इति - शुभम् ॥
 विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’

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