Saturday 19 July 2014

cbse hindi class 9 kaidi our kokila-kavita-makhanlal chaturvedi (कैदी और कोकिला)

 कैदी और कोकिला

प्रश्न १- कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर - कोयल की कूक सुनकर जेल में बन्द कवि की नींद टूट गई। सोने की इच्छा होने के बाद भी वह सो नहीं पा रहा था,क्योंकि कोयल की आवाज उसे सोने नहीं दे रही थी। कवि उसकी कूक का अलग-अलग संभावित मतलब निकालता है। अंतत: एक बात उसके समझ में आ जाती है कि स्वतंत्रता बड़ी चीज़ है। साथ ही यह भी कि उचित समय और माहौल में कही गई बात लोगों को सुननी ही पड़ती है। जैसे वह स्वतंत्र कोयल की कूक सुनने को बाध्य है । इस कूक के प्रतिक्रिया स्वरूप उसके मन में स्वतंत्रता की ललक जाग उठती है।

प्रश्न २- कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना जताई?
उत्तर- कोयल के बोलने के जो कारण हैं,उनका कयास लगाते हुए कवि ने संभावना व्यक्त की है कि कोयल अवश्य कोई जरूरी संदेश देना चाह रही है।शायद किसी ने उसके माधुर्य को लूट लिया है,या उसे किसी दुर्घटना का पूर्वाभास हो गया है जिसे वह बताना चाह रही है। यदि ऐसा नहीं है तो शायद जेल में कवि जैसे अन्य भारतीयों पर जो अत्याचार ढाए जा रहे हैं,उससे दुखी होकर सहानुभूति प्रकट करने आई है,अथवा इस जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने का संदेश दे रही है।
प्रश्न ३- किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है?
उत्तर- ‘तम’ का अर्थ है - अंधेरा । जहाँ अंधेरा होता है,वहाँ पाप और अधर्म फलने-फूलने लगते है। तामसिकता या राक्षसी-प्रवृत्तियाँ हावी रहती हैं। इस बात का सशक्त उदाहरण है-अंग्रेजों का शासन काल। कहा जा सकता है कि तत्कालिन ब्रिटिश शासन में तामसिकता भरी पड़ी थी । भारत को लूटना, भारतीयों को प्रताड़ित करना, गरीबों का शोषण, विरोध करनेवालों को जेल या मृत्यु-दंड एवं आंदोलनकारियों के साथ पशुओं जैसे बर्ताव। ऐसे अन्यायी, अत्याचारी एवं हृदयहीन ब्रिटिश शासन के कुकृत्यों को देख कवि ने उसकी तुलना तम के प्रभाव से की है।

प्रश्न ४ - कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जानेवाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए?
उत्तर - प्रस्तुत कविता में पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाले यंत्रणाओं का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है। भारत को पराधीनता से मुक्त कराने के संघर्ष में जो भी शामिल होते उन्हें  जेलों में ठूस दिया जाता था। उन्हें चोर-उचक्के, उठाई-गिरे, गुण्डे-मवाली और कतिलों के साथ ही रखा जाता था । विभिन्न प्रकार की यातनाएँ दी जाती थीं । हथकड़ी और बेड़ियों से जकड़ देना, काल-कोठरी में बन्द रखना, भर पेट खाना न देना, सोने न देना, गिट्टी तुड़वाना आदि जैसे काम के अलावा भारतीयों से कोल्हू चलाने, चक्की पिसवाने और मोट खींचवाने जैसे पशुओं के काम भी करवाए जाते थे।

प्रश्न ५ - भाव स्पष्ट
कीजिए--
(क)- मृदुल-वैभव की रखवाली-सी कोकिल बोलो तो।
उत्तर - कोयल अपनी कूक अर्थात् मीठी बोली के लिए जानी जाती है। वाणी की सरलता,मधुरता और मृदुलता का पर्याय बनकर कोयल सबको अपनी वाणी और भाषा को मृदुल-वैभव से सम्पन्न बनाने की प्रेरणा देते रहती है। अचानक कोयल के स्वर में वेदना का आभास पाकर कवि व्यग्र एवं चिंतित हो उठा। भाव यह है कि प्रतिनिधि भी जब हताश,निरास,और दुखी हो जाएँगे, हार मान लेंगे, तो भला उनका क्या होगा ; जिन्हें किसी पथ-प्रदर्शक या दिशा-निर्देशक की जरूरत है।

(ख)- हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
उत्तर- ब्रिटिश शासन में भारतीय आन्दोलनकारियों, क्रांतिकारियों,स्वतंत्रता संग्रामियों और राजनीतिक कैदियों को साधारण चोर-उचक्कों के साथ जेलों में रखा जाता था। उनपर भीषण अत्याचार ढाए जाते थे। पशुवत् व्यवहार किया जाता था। कोल्हू और मोट में जानवरों के स्थान पर उनसे काम लिया जाता था। इन सब के पीछे अंग्रेजों की एक कुटिल नीति थी ।वे शारीरिक और मानसिक यातना देकर भारतीयों को अपने सामने झुकाना चाहते थे। कवि भी जेल में था। वह अंग्रेजों की मंशा जान चुका था और मन में ठान लिया था कि वह किसी भी क़ीमत पर हार नहीं मानेगा। भाव यह है कि अंग्रेजों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे। वे जो अकड़ते हैं कि जुल्म और सितम करके हमें वे डरा देंगे,झुका देंगे या हरा देंगे तो उनकी इस अकड़ को हम ढीली कर देंगे। अंतत: उन्हें ही मुँह की खानी पड़ेगी।

प्रश्न ६- अर्धरात्री में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?
उत्तर- प्राय: भोर होने पर पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ता है।कवि ने जब अर्धरात्री में जब कोयल की आवाज सुनी तो उसे अंदेशा होने लगा कि वह अपना दिमागी संतुलन खो बैठी है। कवि कोयल के चीखने के संभावित कारणों पर विचार करते हुए आशंकाएँ जाहिर करता है। जैसे - शायद उसका कुछ लुट गया है,जिस कारण वह रो रही है। संभवत: वह जिस जंगल में रहती है वहाँ आग गई है,जिससे दुखी हो वह चीख-चिल्ला रही है। या फिर हो सकता है जेलों में हमारे ऊपर जो अत्याचार ढाया जाता है, उसके विरोध में चीख रही हो और हमसे विद्रोह करने को कह रही हो।

प्रश्न ७- कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?
उत्तर- कोयल स्वतंत्र है,आजाद है जबकि कवि परतंत्र और कैदी है। कोयल और कवि की स्थिति एक-दूसरे के विपरीत हैं। स्वतंत्र होने के कारण कोयल जब जी चाहे,जहाँ और जितना चाहे उड़ान भर सकती है, गा सकती है, खा-पी और बोल-बतिया सकती है। परंतु ; जेल में कैद और परतंत्र होने के कारण कवि पर ढेर सारी पाबंदियाँ हैं। वह अपनी काल-कोठरी से निकल नहीं सकता, खाना-पीना, बोलना-बतियाना और हँसना-गाना तो दूर की बात, वह अपनी मर्जी से रो भी नहीं सकता और न सो ही सकता है। इसलिए कवि को कोयल से ईर्ष्या हो रही है।

प्रश्न ८- कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं,जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?
उत्तर- कवि के मन में सामान्य लोगों की तरह ही कोयल की स्मृतियाँ अंकित हैं।बचपन से ही वह कोयल को देखता आया है और और सुनता आया है कोयल की मधुर, सरस, कर्णप्रिय और मनभावन आवाज़ । उसकी आवाज बाग-बगीचों और वसंत की शोभा में चार चाँद लगा देती है। परन्तु ; आज जब उसे कोयल की कूक में एक हूक सुनाई पड़ती है और वह भी असमय, अकल्पित स्थान और अकारण, तो वह आश्चर्य चकित रह जाता है। वास्तव में कोयल की अनसुनी आवाज कवि के मन में संचित स्मृतियों को नष्ट कर रही है।
प्रश्न ९- हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?
उत्तर- गहना हमारे सौंदर्य को बढ़ाता है। वैसे तमाम संसाधन जिनके प्रयोग से हमारा सौन्दर्य बढ़ जाए गहना कहलाएँगे। तत्कालिन समय में जो देश भक्त जेल जाता था उसे सम्मान और आदर दिया जाता था। उसका मान बढ़ जाता था । यही कारण है कि हथकड़ियों को गहना कहा गया है।

प्रश्न १०-‘काली तू....ऐ आली!’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों में ‘काली’ एक चमत्कारपूर्ण शब्द है। ‘काली’ शब्द यहाँ एक ओर काले रंग के लिए प्रयुक्त हुआ है तो दूसरी ओर क्रमश : ब्रिटिश-शासन की करनी, उनके क्रूर और कठोर अत्याचार, जेल की भयानकता और अंग्रेजों के काले-कारनामों के लिए प्रयुक्त है। ‘काली’ शब्द की बार-बार आवृत्ति ने पंक्तियों को गेय बना दिया है। इससे गीतात्मकता और लयात्मकता के साथ एक प्रवाह भी आ गया है। जिससे पाठक का आनंद और भी बढ़ जाता है।

प्रश्न ११- काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
उत्तर- भाव-सौन्दर्य :- दावानल अर्थात् जंगल में लगने वाली आग। दावानल की ज्वालाएँ अपनी जद में आनेवाली हर चीज़ को खाक बना देती हैं। प्रस्तुत पंक्ति यहाँ देश में किसी भयानक और विनाशकारी दुर्घटना के होने की आशंका जतला रही है।
शिल्प सौंदर्य :- *भाषा प्रवाहमय और सशक्त है।
             *प्रश्न-शैली का प्रयोग सराहनीय है।
             *तत्सम शब्दों का बाहुल्य है।
             *प्रश्नालंकार का सठीक प्रयोग हुआ है।
             *गेयता और लयात्मकता का अच्छा ताल मेल है।

 

(ख) तेरे  गीत  कहावें  वाह , रोना  भी  है मुझे गुनाह !
    देख विषमता तेरी-मेरी , बजा रही तिस पर रणभेरी !

उत्तर- भाव सौंदर्य :- प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने अपने और कोयल के हालात के अंतर को बड़ी सहजता से अभिव्यक्त किया है। साथ ही आश्चर्य भी व्यक्त किया है कि कोयल को ऐसी परिस्थिति में भी उस पर विश्वास है कि यदि वह कवि का आह्वान करेगी तो कवि मौन नहीं रह सकता है।
शिल्प सौंदर्य :- *कविता में खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
             *तत्सम,तद्भव एवं उर्दू शब्दों का अनूठा संगम है।
             *भाषा चित्रात्मक और लयात्मक है।
             *कोयल के रणभेरी बजाने से मानवीकरण अलंकार हुआ
है।                *सम्बोधन शैली का प्रयोग हुआ है।   
प्रश्न १२ - कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?
उत्तर - कोयल अपनी मीठी बोली के कारण लोगों के दिलों पर राज करती है। उसकी आवाज़ मन को प्रसन्न कर देती है। शायद ही कोई ऐसा हो जो कोयल की आवाज़ सुनना पसंद न करता हो, अर्थात् लगभग सभी उसकी आवाज़ बड़ी चाव से सुनना चाहते हैं। कोयल की इसी विशेषता को ध्यान में रखकर ही कवि ने अपनी बात कहने के लिए उसका चुनाव किया है।

प्रश्न १३- आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता है?
उत्तर- अंग्रेज सदा-सर्वदा भारत पर राज करते रहना चाहते होंगे। स्वतंत्रता सेनानियों के उत्पात से जब उनके मनसूबों पर पानी फिरने की संभावना बढ़ जाती होगी तब उन्हें देशद्रोही करार देकर जेलों में भर देते होंगे। क्रांति को असफल करने तथा विद्रोह को कुचलने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को कठोर दंड दिया जाता होगा। ऐसा करके वे समस्त भारतीयों को एक संदेश देना चाहते होंगे कि हमारी नज़रों में स्वतंत्रता सेनानियों की औकात भी वही है, जो एक साधारण चोर, डाकू या कातिल की होती है। शायद भारतीयों के मनोबल को तोड़ने तथा उनमें एक खौफ पैदा करने के लिए एक सोची-समझी नीति के तहत इस प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातनाएँ दी जाती होंगी।

 

॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे ‘स्वप्नदर्शी’
  

4 comments:

  1. i did not understand the prashn 5 (k)

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  2. Please send bhavarth also.your explanation is very much useful

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