Tuesday 8 July 2014

CBSE NCERT CLASS 10TH HINDI-MANVIYA KARUNA KI DIVYA CHAMAK-SARVESHWAR DAYAL SAKSENA (मानवीय करूणा की दिव्य चमक-सर्वेश्वर दयाल सक्सेन)

 मानवीय करूणा की दिव्य चमक
प्रश्न १- फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी ?
उत्तर- देवदार एक विशाल और छायादार वृक्ष होता है, जो अपनी सघन और शीतल छाया से श्रांत-पथिक एवं अपने आस-पड़ोस को शीतलता प्रदान करता है। ठीक ऐसे ही व्यक्तित्व वाले थे-- फ़ादर कामिल बुल्क़े। वे अपने मानवीय गुणों के कारण महान तथा उदार बन गए थे। वे एक तरह से स्नेह,ममता,वात्सल्य,दया,करूणा और आत्मीयता के पर्याय  बन गए थे। फ़ादर बुल्क़े जिससे भी मिलते थे ; उसी से घनिष्ठ संबंध बना लेते थे। अपने प्रियजनों के यहाँ वे किसी भी उत्सव में बड़े भाई और पुरोहित की तरह खड़े रहकर अपने आशीष से भर देते थे।

प्रश्न २ - फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं,किस आधार पर ऐसा कहा गया है ?
उत्तर - फ़ादर बुल्के ने भारत को अपना कर्मक्षेत्र बनाया । यहीं पर उन्होने धर्माचार की पढ़ाई की । हिन्दी से उनका विशेष लगाव था । वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे । वे राँची के सेण्ट जेवियर्स कालेज में हिन्दी और संस्कृत के विभागाध्यक्ष भी रहे। भारतीय संस्कृति से उनके प्रेम का सशक्त उदाहरण उनका शोध-प्रबंध- ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’ है ।उन्होंने भारतीय परंपराओं , मानवीय मूल्यों और संस्कृति को पूरी तरह आत्मसात कर लिया था । अत: कहा जा सकता है कि फ़दर बुल्क़े भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं।

प्रश्न ३ - पाठ में आए उन प्रसंगो का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्क़े का हिंदी प्रेम प्रकट होता है ?
उत्तर - फ़ादर बुल्क़े का हिन्दी से सहज लगाव था । यही कारण था कि उन्होंने हिन्दी से ही बी.ए. और फिर एम.ए. भी किया । सेंट जेवियर्स कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष भी बनें। वहीं उन्होंने शोध-प्रबंधक-- ‘रामकथा - उत्पत्ति और विकास’ लिखा। अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश एवं ‘ब्लू बर्ड’ नामक उपन्यास का ‘नीलपंछी’ नाम से हिन्दी में अनुवाद किया।  इसके अलावा बाइबिल का भी अनुवाद किया। वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे । इसके लिए अकाट्य तर्क देते थे। ये सभी बातें उनके प्रगाढ़ हिन्दी प्रेम को प्रकट करती हैं।

प्रश्न ४ - इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्क़े की जो छवि उभरती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- फ़ादर बुल्क़े मूलत: विदेशी थे । उनकी जन्मभूमि बेल्जियम थी । परंतु भारत के प्रति उनके मन में गहरा लगाव था । इसी लगाव के कारण उन्होंने अपनी कर्मभूमि के रूप में भारत को चुना । भारतीय संस्कृति, परंपरा, आचार, व्यवहार को पूरी तरह आत्मसात कर वे विशुद्ध भारतीय बन गए। परंपरागत इसाई पादरियों से सर्वथा अलग वे बहुत ही मिलनसार थे । दूसरों के प्रति उमके मन में प्रेम, वात्सल्य, ममता, दया, करूणा,स्नेह, सद्‍भावना और अपनत्व छलकता रहता था । वे फल -फूल,गंधयुक्त

विशालकाय देवदार वृक्ष की तरह थे ,जो सबको शान्ति प्रदान करता है।

प्रश्न ५ -  लेखक ने फ़ादर बुल्क़े को ‘मानवीय करूणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
उत्तर- फ़ादर बुल्क़े के हृदय में सबके लिए करूणा,प्रेम,दया और वात्सल्य उमड़ता रहता था । वे सबके सुख-दुख में हृदय से सम्मिलित होते थे । उनकी आँखों में वात्सल्य तैरता रहता था । बड़े से बड़े दुख में भी उनके सांत्वना के शब्द हृदय को अपार शांति प्रदान करते थे। संन्यासी होकर भी वे एक बार जिससे संबंध बना लेते थे , उसे कभी तोड़ते नहीं थे।यही कारण है कि लेखक ने फ़ादर बुल्क़े को ‘मानवीय करूणा की दिव्य चमक’ कहा है।

प्रश्न ६ - फ़ादर बुल्क़े ने संन्यसी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है,कैसे?
उत्तर- प्राय: संन्यासी सांसारिक मोह - माया से दूर रहते हैं । जबकि फ़ादर ने ठीक उसके विपरीत छवि प्रस्तुत की है।परंपरागत संन्यासियों के परिपाटी  का निर्वाहन न कर, वे सबके सुख - दुख मे शामिल होते। एक बार जिससे रिश्ता बना लेते ; उसे कभी नहीं तोड़ते । सबके प्रति अपनत्व,प्रेम और गहरा लगाव रखते थे । लोगों के घर आना - जाना नित्य प्रति काम था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि फ़ादर बुल्क़े ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग छवि प्रस्तुत की है।
प्रश्न ७ - आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि फ़ादर बुल्क़े की मृत्यु पर उनके चाहनेवलों का जन - सैलाब उमर पड़ा था। फ़ादर बुल्क़े ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनके लिए इतने लोग दुखी होंगे। वहाँ उपस्थित सभी लोग दुखी एवं शोक मग्न थे । सभी की आँखें नम थीं ।अब उनका नाम गिनवाना या लिखना स्याही की फिज़ूलखर्ची ही होगी।

(ख) - ‘फ़ादर को याद करना उदास शान्त संगीत सुनने जैसा है।’
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति ‘फ़ादर को याद करना उदास शान्त संगीत सुनने जैसा है।’ का आशय है, जिस प्रकार उदास शान्त संगीत को सुनकर हमारा मन व्यथित और उदास हो उठता है ,उसी प्रकार फ़ादर को याद करने से भी हमारा मन व्यथित और उदास हो उठता है।

प्रश्न ८ - आपके विचार से बुल्क़े ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर - हमारे विचार से फ़ादर बुल्क़े ने भारत के प्राचीन एवं गौरवपूर्ण इतिहास तथा यहाँ की सभ्यता-संस्कृति, जीवन-दर्शन, सत्य, अहिंसा, प्रेम, धर्म, त्याग तथा ऋषि-मुनियों से प्रभावित होकर ही भारत आने का मन बनाया होगा।

प्रश्न ९ -‘बहुत सुन्दर है मेरी जन्मभूमि-रैम्सचैपल।’इस पंक्ति में फ़ादर बुल्क़े की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन -सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर - फ़ादर बुल्क़े के उपर्युक्त कथन से अपनी जन्मभूमि के प्रति उनके मन में अगाध प्रेम ,श्रद्धा ,सम्मान और हार्दिक लगाव का भाव झलकताहै। प्राय: समस्त प्राणी अपनी जन्मभूमि से गहरा लगाव रखते हैं । मुझे भी अपनी जन्मभूमि बहुत ही प्यारी लगती है । मेरे लिए मेरी जन्मभूमि दुनिया में सबसे सुन्दर है । इसने मुझे ही नहीं मेरी माँ को भी पाला,पोसा और बड़ा किया है ।इसके ऋण से मैं कभी उऋण नहीं हो पाऊँगा । यदि कभी जरूरत पड़ी तो इसके लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दूँगा। मैं मानता हूँ कि ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’


॥ इति - शुभम् ॥
विमलेश दत्त दूबे ‘ स्वप्नदर्शी’

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